Wednesday 5 October 2011

जिंदगी का दौर.........


हदे निगाह तक मुझे
वो रौशनी दिखाई दे
जो जाये मंजिलों तलक
वो हौसला सुनाई दे
मै दौड़ता चला वहां
न रुक सकूँ न थक सकूँ
मै गा रहा ये गीत के
गुजर सकू ये फांसले
अब देर ना करे ये वक्त
की मैं बढ़ा तूफान से .....
.......................................
चला चला चला हूँ मैं .....
यूँ जिंदगी के दौर से......

2 comments:

  1. Jivakiiiii ohhh my god....ths 1 is 2 good...dude u r a poet,writer,actor,director....so many attributes hmmmmm......all d best jivakiii:)

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